18 October 2011

Steve दादा नहीं रहे...

स्टीव दादा नहीं रहे... कौन Steve? अरे भई Apple वाले Steve Job दादा नहीं रहे… पूरी दुनिया में मातम छा गया... लोगों को अपने दादा के मरने का शायद उतना ग़म न हो, जितना Steve दादा का हुआ...। सब रोने लगे... जिनके पास भी iphone, iMac, ipad, ipod.. जो भी था, वो रो रहा था… अखवार रो रहे थे, Channel रो रहे थे... कुछ लोग इसलिए भी रो रहे थे, ताकि वो ये साबित कर सकें, कि वो भी Steve दादा का Product इस्तेमाल करते हैं…

लोग कह रहे थे, कि तीन सेवों ने यानि Apples ने दुनिया बदल दी… एक Apple Adam और Eve ने खाया था, तो दुनिया बन गई… दूसरा Apple Albert Einstein के सर पर गिरा तो दुनिया को गुरूत्वाकर्षण यानि Gravity का पता चला… तीसरा Apple Steve दादा का था, जिसने Computers और phone की दुनिया बदल दी… वो बात अलग है, कि पहले दो सेवों की करतूतों ने आम दुनिया को फायदा पहुंचाया, लेकिन Steve भईया के Apple का उन्ही लोगों को पता था, जो इस बात को मानते थे, An apple in a day keep doctors away… आम आदमी का तो Apple से तभी वास्ता पड़ता है, जब वो लड़की वाला बन कर लड़के वालों को सगाई के समय 1 किलो सेव भेंट देता है… इन एक किलो सेवों का महत्व सगाई की सोने की अंगूठी से कम नहीं होता…

तो अपने Steve भईया ने भी हमें एक Apple दिया… हांलांकि वो जूठा Apple था… कुतरा हुआ.. अब पता नहीं, कि वो Steve ने कुतरा, या फिर चूहे ने… लेकिन हम सब खुश होते रहे… कि भले जूठा हुआ तो क्या हुआ, किसी ने हमें सेव लायक तो समझा… और हम Steve भईया के जूठे Apple को पाकर खुश होते रहे… पहले Apple बड़े बड़े देशों में Launch होता, जब वो खा खा के थक जाते… तब जा के Apple भारत में आता… लेकिन हम खुश हो जाते… और मन को समझा लेते… कि कोई बात नहीं… पहले अमरीका और इंगलेंड Apple खा लें, फिर बचेगा तो हमें भी मिल जाएगा… Steve दादा ने कभी ये नहीं सोचा, कि भारत का बाज़ार भी बड़ा है, और वहां भी उनके सेव अच्छे खासे बिक सकते हैं… कुछ लोगोँ को तो Apple खाने का इतनी तलब लगती… कि वो चोरी छिपे लाया हुआ Apple ही खा लेते… और उसे बड़ी शान से हाथ में लेकर घूमते, और बताते भी, कि ये वही Latest Apple है, जिसे India में launch करने लायक नहीं समझा गया, लेकिन उन्होंने किसी तरह जुगाड़ कर लिया है… और उसे Break करके वेा इस्तेमाल भी करने लगे हैं… बचपन में चुरा के तो हमने भी Apple खाए हैं, लेकिन हमेशा कोशिश यही थी, कि किसी को पत न लग जाए… लेकिन ये Steve भ्ईया का Apple था, कोने के ठेले वाले बंसी लाल का नहीं…

लेकिन कुछ भी हो, Steve दादा के जाने का दुख हमें भी हुआ… अनाथ थे, लेकिन आदमी अच्छे थे… भारत भी आ चुके थे, हांलांकि भारत में उनके अनुभव ज्यादा अच्छे नहीं रहे… सुनते हैं, उस समय उन्हें किसी सन्यासी ने ठग लिया था… वैसे ये बात नई नहीं थी, सन्यासी हमेशा से ही लोगों को ठगते आ रहे हैं, कभी धर्म के नाम पर, तो कभी चमत्कार के नाम पर… पर Steve दादा को इस बात का दुख हुआ, और उन्होंने फिर कभी पलट कर यहां नहीं देखा… हो सकता है, इसीलिए… उनके Apple सारी दुनिया में तो बिकते, लेकिन भारत में देर से ही आते… ठीक वैसे… जैसे कोई नई फिल्म शुक्रवार को तो महानगरों में release होती हैं, लेकिन गांव खेड़ों के सिनेमा Hall में दो चार हफ्ते के बाद ही पहुंचती है… Steve दादा के लिए, भारत भी किसी गांव खेड़े से कम नहीं था…

हमारे हिसाब से Steve दादा की बनाई हुई चीज़ों में बहुत सी कमियां थीं… लेकिन हालत ऐसी कि मज़ाल है कोई कमियां निकाल दे… लोग ऐसे react करते, जैसे किसी को Modern Art समझ नहीं आती, या English Film जिन्हें समझ नहीं आती, तो दूसरे उसे कैसी हीन भावना से देखते हैं… भले उन्हें भी समझ न आई हो… मैंने एक Apple fan से पूछा, कि भाईसाब, आपके Phone में तो कुछ Basic Feature ही Missing हैं… तो उसने मुझे ऐसे देखा, जैसे नाके के किसी पनवाड़ी ने MF Husssain की Painting खरीद ली हो… बोला, अगर Apple खाना है, तो जैसा है वैसा खाओ…

Steve दादा की सफलता का यही आलम था… जैसे हम अपनी कमियों को ऊपर वाले की कृपा मानकर संतोष कर लेते हैं, कि ऊपरवाले ने अगर टांग तोड़ दी है, तो कुछ सोच कर ही तोड़ी होगी… क्योंकि भगवान जो कुछ करता है अच्छा ही करता है… उसी तरह Steve दादा जो बनाते हैं, अच्छा ही बनाते हैं… ये स्थान प्राप्त कर लेना, जिंदगी में बहुत बड़ी उपलब्धि है, कि जब लोग आपकी कमियां मानने और देखने को तैयार न हों… ये चमत्कार Steve दादा ने कर दिखाया, ये वाकई बहुत बड़ी बात है… मैं Steve दादा का Fan नहीं रहा, लेकिन वो जहां भी हैं, जैसे भी हैं, उन्हें बहुत बहुत श्रृद्धांजलि…

Written by : RD Tailang
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