16 August 2010

सुरशाला

Indian Idol के Grand Finale (15 Aug 2010) के लिए, मेरे द्वारा लिखी गई एक कविता, जो श्री अमिताभ बच्चन ने Show में पढ़ी। ये कविता डॉ. हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की तर्ज और तुक पर लिखी गई थी –

रंग भी, जंग भी, संग उमंग भी
गुथे हुए, जैसे माला…
गाने वाले झूम उठे औ
तृप्त हुआ सुनने वाला…

कला रूप है ईश्वर का यदि
Indian Idol मंदिर है…
सुर से, गुन से, धुन से, मन से
सजती है ये – सुरशाला

रूप निधि है, सुर सुनिधि है..
जग बन जाए, मतवाला
श्री सलीम श्रीमान मधुर मुस्कान ने
जादू कर डाला…

सुरों की सत्ता के सम्राटों का
मैं वंदन करता हूं…
मलिक का परचम लहराए
जले सदा यश की ज्वाला

ईश्वर के चरणों में मैंने
एक निवेदन कर डाला
सच्चे दिल से जो गाए
उसे आज सुने बंसी वाला

Shriramchandra, Rakesh, Bhoomi का
मैं अभिनंदन करता हूं…
सदा सफल हों, सदा सबल हों
कृपा करे ऊपर वाला,
कृपा करे ऊपर वाला…

R D Tailang
Mumbai

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