02 December 2010

KBC के शुरूआती दिन...

Film City Mumbai का Floor No 7. जी हां, Filmcity Mumbai में बहुत ही खूबसूरत जगह है, जहां पर फिल्मों की Shooting होती है। ये जगह ऐसी है जहां चारों तरफ हरियाली और जंगल है… Borivali National Park से लगा होने के कारण, यहां पर कभी कभी रात को चीता और जंगली जानवर भी आ जाते हैं… इसी हरियाली के बीच में बड़े बड़े खाली Hall बने हैं, जिन्हें फिल्मी भाषा में Floor कहा जाता है। ये FCI के गोदाम की तरह होते हैं… लोग इन्हीं के अंदर, अपनी फिल्मों के, या TV Shows के Set लगा लेते हैं… और Film City के ऐसे ही एक Floor No 7 में KBC 2000 का Set लगाया गया था।

Set पूरी तरह बन कर तैयार हो चुका था… Set ऐसा कि देखते ही बनता था… कांच का कटोरा जैसा लगता था… पैरों तले कांच होने के कारण शुरू में बहुत दिक्कत आती थी… सबको लगता था, कि पैर रखते ही चटक जाएगा और हम नीचे कटोरे में गिर जाएंगे… ये Set भारत के बहुत ही मशहूर Art Director Nitin Desai ने लगाया था।

भारत में इस तरह की Lighting और High tech Show की शायद वो शुरूआत ही थी, ऐसा लगता था, जैसे कि Rocket launching Control room में हों… Control Room एक बड़ा कमरा होता है, जहां पर सारी Lights के Computer के और Sound के Control होते हैं, और Director भी यहीं बैठता है… हमारे Control Room में कमरे तो थे, लेकिन छत नहीं थी… क्योंकि हम वैसे भी Floor No 7 की छत के नीचे ही तो बैठे थे… लेकिन उसके बाद हमें छत की ज़रूरत पड़ गई… पहली बार हमें पता चला कि शांत से दिखने वाले Siddhartha Basu अचानक कुछ सही न होने पर इतनी ज़ोर से चिल्ला पड़ते थे, और वो आवाज़, Floor पर खेल खेल रहे Amitabh Bachchan को चौंका देती, वो डर के मारे खेल रोक देते… तभी लगा कि हमारे Control Room छत की बहुत ज़रूरत है, और रातों रात छत बनाई गई… तब जाके इस समस्या से छुटकारा मिला… लेकिन Sidhartha Basu की ख़ासबात ये भी थी, कि यदि एक Second में उनको गुस्सा आता था, तो आधे Second में उनका गुस्सा उतर भी जाता था… और वो ऐसे लगते कि, जैसे इन्होंने ऊंची आवाज़ में शायद बरसों से बात नहीं की है…

ख़ैर हम सब पहली बार एक बड़ा Show कर रहे थे, एक दूसरे से उतनी जान पहचान भी नहीं थी, धीरे धीरे एक दूसरे की आदतों, स्वभाव, योग्यता के बारे में धीरे धीरे पता चल रहा था… और इसी दौरान मुझे Amitabh Bachchan को समझने का मौका मिला…

Amit Ji, Rehearsals के लिए रोज़ आते, बड़ा मज़ेदार माहौल होता… हमने पहली बार देखा था, कि Amitabh Bachchan अपनी निज़ी ज़िदगी में कैसे हैं… हंसने हंसाने, मस्ती मज़ाक करने वाले Amitabh… उनके One liners का जवाब नहीं… इससे पहले हमने तो Amitabh को सिर्फ भूमिकाओं में देखा था, हम सब उनका ये रूप देखकर बहुत खुश् होते थे… जब भी उन्हें कोई कुछ ज्यादा करने को बोल देता तो वो कहते – हिटलर मर गए… लेकिन इन्हें छोड़ गए, हमारे लिए…। पहली बार हमें पता चला, कि Amit Ji लंबाई ज्यादा होने के कारण, 4 Plastic की कुर्सियों को एक के ऊपर एक रखकर बैठते हैं…। पहली बार पता लगा, कि Amit Ji Script सुनना नहीं, खुद पढ़ना पसंद करते हैं। उनकी लिखावट बहुत ही सुंदर और स्पष्ट है, और आज भी वो, अ अक्षर को पुराने Style में, यानि प के आगे तीन डंड़ियां लगा कर ही बनाते हैं… इसी दौरान Amit के साथ हुए एक वाकए ने मेरी ज़िदगी का नज़रिया बदल दिया…

[ Photo : एक बहुत ही Rare Photograph KBC 1 के Set पर Rehearsals के समय लिया गया, इसमें Amit Ji Team Member के साथ् Rehearsals करते हुए। Hood वाली Dress में Amit Ji बहुत Funny लग रहे हैं,। ]

दरअसल हुआ यूं, कि TV में अन्य कलाकारों में से जिसके लिए भी मैने लिखा, किसी ने Script पर इतना ध्यान नहीं दिया… इसलिए मेरी थोड़ी सी लापरवाही, या कहें तो आदत खराब हो गई… मैंने कभी `व' और `ब' में, ख और ख़ में फर्क़ ही नहीं किया… Movers and Shakers लिखता था, और वहां Shekhar Suman इन सब बातों पर ध्यान भी देते थे… लेकिन वो Shooting से पहले ख़ुद ही, ये Correction, Teleprompter पर कर लेते थे…

Bachchan जी जैसे ही Set पर घुसते, सबसे पहला सवाल करते कि Script लाओ… मैं इसके लिए तैयार नहीं रहता… फिर फटाफट Printout निकाले जाते… उसके बाद, Script लेकर पहुंचता तो हिंदी की Grammar के ठिकाने नहीं रहते… ऐसा नहीं कि ज्ञान नहीं था, लेकिन लापरवाही, कि कौन करे, भला बिल्ली को विल्ली लिख देंगे, फिर भी बोला तो बिल्ली ही जाएगा… Amit Ji ने, एक दो बार तो खुद ही अपनी तरफ से ये ग़लतियां ठीक कर दीं… लेकिन Teleprompter में वो सुधार उतने Seriously नहीं हो पाते थे… Bachchan Sir बोलते, तो मैं Sorry कहके बच जाता… मुझे मन ही मन ये लगता, कि ठीक है, हम यहां कोई Hindi का Exam देने थोड़े ही आए हैं, जहां Amitabh Bachchan हमारी ग़लतियां निकालें और सुधारते फिरें… वो Anchor हैं, Master Ji नहीं…। एक दिन फिर वही हुआ… फिर ग़लतियां… तो इस बार Bachchan Ji ने, थोड़े प्यार से, थोड़ी चिड़ के साथ, और थोड़े गुस्से से… मुझे लताड़ दिया… बोले मैं तीन चार दिन से देख रहा हूं वही ग़लतियां बार बार हो रही हैं, तुम्हें समझ नहीं आ रहा है, कि जैसा तुम लिखोगे, मैं वैसा वहां बोलूंगा, और यदि मैं सबके सामने ग़लत बोलता हूं, तो रात को ढंग से सो नहीं पाता… और अगर आज की ग़लती तुम आज नहीं सुधारोगे, तो वो आदत बन जाएगी, और जो एक बार आदत बन जाती हैं, वो बड़ी मुश्किल से छूटती है…

ये Lecture सुनकर मैं बाहर आ गया, मैं भी गुस्से में था… आख़िरकार ये तो हद दी… मैं भी Writer हूं, यहां डांट खाने नहीं आया… सोचा Show छोड़ दूंगा… दोस्तों के बीच खूब बड़बड़ाया… मुझे ऐसा लगा कि बाहर का आदमी… क्योंकि वो फिल्मों से आए थे, हमारे ऊपर धौंस जमा रहा था… लेकिन अचानक न जाने क्या हुआ… दिमाग में एक रोशनी सी कौंधी… Amit Ji की एक एक बात कानों में गूंजने लगी… उन्होंने अनजाने में, जीवन की एक बहुत बड़ी सीख दे दी थी… अगर मुझे जीवन में आगे बढ़ना है, तो इस सीख को तो सीखना ही पड़ेगा… बात सही थी, ग़लती को आदत क्यों बनने दिया जाए… उन्होंने मेरे लेखन पर ऊंगली नहीं उठाई थी, उन्होंने मेरी लापरवाही पर टोका था… और हो सकता था, कि उस लापरवाही की वजह से, मेरी अच्छी Lines का मज़ा भी ख़राब हो जाता हो…
मैंने जीवन में इस घटना को मार्गदर्शक बना लिया… और उसके बाद, तो ग़लतियां ऐसी सुधरी… कि आज Amit Ji से जुड़े हुए दस साल हो रहे हैं… और इन दस सालों में उन्होंने Television पर जो भी किया, उसका हिस्सा में रहा हूं…

आज एक घटना को काफी विस्तार से लिख दिया है, कल कुछ और दिलचस्प वाकये सुनाऊंगा… तब तक के लिए, शुभजीवन की शुभकामनाएं।

RD Tailang
Mumbai

No comments:

Post a Comment