आज मैंने कौन बनेगा करो़ड़पति की शुरूआत में, श्री अमिताभ बच्चन के लिए ये पंक्तियां लिखीं… वो KBC के Set पे आकर, ये पंक्तियां बोलते हैं…
मैंने यहां हिंदुस्तान महसूस किया है… मैंने यहां हिंदुस्तान महसूस किया है… यूं तो मैं, देश के कोने कोने में घूमा फिरा… कभी देखा एक छोर, तो कभी छुआ दूसरा सिरा… मगर मैंने हिंदुस्तान यहां महसूस किया है…
हमें जो लाखों Calls मिले, वो महज़ आकड़े नहीं थे… उसमें थी मंज़िलें, किसी के सपने यहीं थे… किसी में छिपी थी मां की बीमारी… कोई बच्चे को दिखाना चाहता था दुनिया सारी… इस खेल ने जीवन को कितना दिया है… मैंने यहां हिंदुस्तान महसूस किया है…
यहां खिलाड़ी साथ लाता है अपना गांव… पीपल की छांव, कौवे की कांव कांव… शहरों की रंगत भी यहां आती है… गांव की संगत में वो भी खिलखिलाती है… यहां सबके सपने एक होते हैं… एक की हार पे, दिल सभी के रोते हैं… ये खेल जब भी आता है, किसी का घर बन जाता है, कोई कर्ज उतर जाता है, कहीं जीवन संवर जाता है... इस खेल ने जीवन को कितना दिया है, मैं यहां हिंदुस्तान महसूस किया है…
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